संकटग्रस्त जैवविविधता

आज पूरे विश्व में जैवविविधता का ह्रास होता जा रहा है।

वर्तमान समय में पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ पारस्थितिकीय आपदाएं न आतीं हों।

वर्तमान समय में पृथ्वी पर लगभग 1.7 मिलियन ज्ञात प्रजातियां हैं।

शोध बताते हैं कि इसका एक तिहाई या एक चौथाई भाग अगले कुछ दशकों में विलुप्त हो सकता है।

ऐसा अनुमान है कि मानवीय हस्तक्षेप के कारण उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में प्रतिवर्ष लगभग 50 प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुँच जाती है।

IUCN की रेड डाटा लिस्ट संकटग्रस्त व दुर्लभ प्रजातियों को सूचीबद्ध करती है।

आईयूसीएन द्वारा जारी रेड लिस्ट का मुख्य उद्देश्य विश्व भर में बिलुप्त व संकटग्रस्त प्रजातियों को विश्व पटल पर लाना है।

आईयूसीएन ने बर्ष 2004 में प्रकाशित रेड लिस्ट में बताया कि पिछले 500 वर्षों में पशुओं की 784 प्रजातियां विलुप्त हुई

उनमें- डोडो ( मॉरिशस), क्वागा (दक्षिण अफ्रीका), थाइलेसिन (ऑस्ट्रेलिया)

स्टेलर की समुद्री गाय (रूस) और चीतों की तीन उपजातियां- बाली, जावानीस, कैस्पियन जैसी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।

वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो पता चलता है कि विश्व की लगभग 15,500 प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे को झेल रही हैं।

इनमें से 12% पक्षियों की प्रजातियां, 23% स्तनपायी जीवों की प्रजातियां

32% उभयचरों की प्रजातियां तथा 31% जिम्नोस्पर्म प्रजातियां शामिल हैं।

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