पिछले कुछ समय से हम लोगों ने फ्लेक्स ईंधन ( Flex – fuel ) वाहनों के बारे में अधिक सुना है। भले ही हम पूरी तरह से समझ नहीं पाए कि वह क्या है? आज के समय में फ्लेक्स फ्यूल ( Flex – fuel ) के कई ज्ञात लाभ मौजूद हैं। हालांकि इस प्रकार के वाहन खरीदने से पहले हमें ये समझना चाहिए कि हम क्या खरीद रहे हैं। अतः हम आज फ्लेक्स फ्यूल के फायदे और नुकसान – Flex-fuel ke fayede aur nuksaan के बारे में बात करेंगे और यह जानने का प्रयास करेंगे कि इन वाहनों में निवेश करना कितना सही है?
आधुनिक युग में फ्लेक्सिबल (flexible) फ्यूल जिसे फ्लेक्स फ्यूल ( Flex – fuel ) कहा जाता है और समान्यता इसे E -85 के रूप में संदर्भित किया जाता है। फ्लेक्स फ्यूल( Flex – fuel ) का सफर फोर्ड टॉरस फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल (Ford Taurus Flex fuel vehicle) के साथ 90 के दशक में शुरू हुआ था। इसका 3.0 लीटर V6 इंजन पारंपरिक गैस या ईंधन पर एथेनॉल से गैसोलीन के उच्च अनुपात के साथ चल सकता है। फ्लेक्स फ्यूल( Flex – fuel ) को मूल रूप से वैकल्पिक ईंधन के रूप में बताया गया, जो किसी देश को अधिक ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्र बनाने में मदद कर सकता था। इसका उपयोग पिछले तीन दशकों में कई वाहन निर्माताओं और दर्जनों वाहन तक फैल चुका है। हालांकि आज हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का दौर है। जो तेल निर्भरता और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में मदद करते हैं। फिर भी कारों, ट्रकों और एसयूवी का छोटा समूह मौजूद है, जो फ्लेक्स फ्यूल पर चलने के लिए बनाया गया है।
फ्लेक्स फ्यूल क्या है ( What is flex- fuel)
फ्लेक्स फ्यूल या फ्लेक्सिबल फ्यूल गैसोलीन और मेथनॉल (Methanol) या एथेनॉल (Ethanol) के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है। फ्लेक्स फ्यूल 17-49% प्रतिशत गैसोलीन और 51- 83% एथनॉल या मेथनॉल का मिश्रण है। ये मिश्रण स्थान और मौसम के आधार पर होता है।
इथेनॉल क्या है ( What is ethanol)
इथेनॉल को अल्कोहल या एथिल अल्कोहल ओर ग्रेन अल्कोहल भी कहा जाता है। ये एक स्पष्ट रंगहीन तरल पदार्थ है। इसका रासायनिक फार्मूला है| इथेनॉल स्वाभाविक रूप से यीस्ट द्वारा चीनी की fermentation प्रक्रिया द्वारा या एथलीन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पादित किया जाता है। इथेनॉल का उपयोग ऑक्टेन रेटिंग को सस्ते में बढ़ाने के लिए किया जाता है। और लगभग सभी देशों में गैसोलीन का एक घटक है। आमतौर पर कार में जो पेट्रोल डाला जाता है, उसमें अधिकांश में 10% एथेनॉल होता है।
फ्लेक्स फ्यूल वाहन ( Flex fuel vehicle)
फ्लेक्सिबल ( flexible) ईंधन वाहनों में एक आंतरिक दहन इंजन होता है, और भी गैसोलीन और एथनॉल के किसी भी मिश्रण को 83% तक चलाने में सक्षम होते हैं। E-85 फ्लेक्स फ्यूल एक गैसोलीन इथेनॉल मिश्रण है। जिसमें भूगोल और मौसम के आधार पर 51% से 83% इथेनॉल होता है। फ्लेक्स फ्यूल इंजन में फ्यूल – मिक्स सेंसर होता है। इस इंजन में engine control module ( ECM) programming होती है जो मिश्रित ईंधन के किसी भी अनुपात को समायोजित कर सकती है। ये फ्यूल पंप ( fuel pump) और फ्यूल इंजेक्शन ( fuel injection) प्रणाली को इथेनॉल संगत घटकों के द्वारा समायोजित करता है। फ्लेक्स फ्यूल इंजन सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव के साथ आता है। साथ ही साथ इसमें प्रयुक्त होने वाले फ्लेक्स फ्यूल के फायदे और नुकसान ( flex fuel ke fayade aur nuksaan) भी है।
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इन इंजनों का सबसे सकारात्मक पहलू ये है कि यह एथनॉल मिश्रित ईंधन का प्रयोग करता है, जिससे वायुमंडल में प्रदूषित तत्व कम उत्सर्जित होते हैं और वायुमंडल कम प्रदूषित होता है। ये इनकी कम लागत और समग्र दीर्घकालिक स्वामित्व अनुभव प्रदान करता है| इसके नकारात्मक प्रभावों की अपेक्षा सकारात्मक प्रभाव अधिक हैं| इन इंजनों का निर्माण पेट्रोल और डीजल वाहनों की अपेक्षा बहुत सीमांत होता है अर्थात इस प्रकार के इंजन पेट्रोल और डीजल इंजन की अपेक्षा कम मात्रा में उत्पादित किए जाते हैं।
फ्लेक्स फ्यूल के फायदे ( flex fuel ke fayade )
आइए कुछ ऐसे कारणों को जानेंगें जिनको पढ़कर आप फ्लेक्स फ्यूल वाहनों को खरीदने का विचार कर सकते हैं।
(1) पर्यावरण को स्वच्छ बनाने वाला ( cleaner for the environment)
पर्यावरण को प्रदूषित करने में पेट्रोल व डीजल चलित वाहनों का मुख्य योगदान है। बहुत से देशों की सरकारें इस बारे में चिंतित दिखाई देती है। आजकल लोग भी वाहनों में ईंधन की खपत के फलस्वरूप पर्यावरण में बढ़ने वाले प्रदूषण से चिंतित प्रतीत होते हैं। गैसोलीन अर्थात पेट्रोल और डीजल की तुलना में इथेनॉल अधिक स्वच्छ रूप से जलता है। इस कारण फ्लेक्सिबल ( flexible) वाहन वातावरण में कम विषैले तत्त्व उत्सर्जित करते हैं। फ्लेक्स फ्यूल (flex-fuel) ग्रीन हाउस का उत्सर्जन कम करते हैं जिससे ये पारंपरिक गैसोलीन की तुलना में पर्यावरण के अधिक अनुकूल होते हैं।
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(2) ज्वलन सुबिधा ( Burning facility)
फ्लेक्स ईंधन वाहन के सबसे बड़े लाभों में से एक यह है कि ये दहन कक्ष में ईंधन मिश्रण के किसी भी अनुपात को जला सकता है। फ्लेक्स फ्यूल कार इलेक्ट्रॉनिक सेंसर से लैस है, जो मिश्रण को मापता है और इसके माइक्रोप्रोसेसर ईंधन इंजेक्शन और समय को समायोजित करते हैं।
(3) उन्नत प्रौद्योगिकी ( Advanced technology )
आधुनिक फ्लेक्स फ्यूल वाहन इलेक्ट्रॉनिक सेंसर जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। ये तकनीकी प्रगति आपकी कार को उसके संचालन के तरीके को समायोजित करने की अनुमति देती है – जिसमें ईंधन मिश्रण का पता लगाना और आवश्यक समायोजन करना शामिल है| आधुनिक फ्लेक्स फ्यूल (flex fuel) वाहन में 10-85 प्रतिशत एथनॉल हो सकता है।
(4) स्थायी रूप से उत्पादित ( Sustainably produced)
कई फ्लेक्स ईंधन वाहन एथनॉल पर चलते हैं, जो गन्ने की चीनी और मक्का जैसी सामग्री से स्थायी रूप से उत्पादित होता है। ये ईंधन खेती से प्राप्त उत्पादों से प्राप्त होता है। इसलिए ये अपने देश में आसानी से बनाया जा सकता है। अपने देश में आसानी से बनाए जाने के कारण विदेशों से कच्चा तेल आयात करने में कमी आएगी और विदेशों पर तेल निर्भरता भी कम होगी।
(5) टैक्स लाभ ( Tax benefits)
फ्लेक्स फ्यूल कार चलाने वाले वाहन मालिको को टैक्स क्रेडिट मिलता है जो उनके कर दायित्वों को कम या समाप्त कर सकता है। भारत में एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि भारत ने गैसोलीन और डीजल के साथ इथेनॉल और अन्य वनस्पति तेलों के उच्च अनुपात के मिश्रण को प्रोत्साहित करने के लिए जैव ईंधन के लिए उत्पाद शुल्क छूट का विस्तार किया है।
रूस यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि की है। चूंकि भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता है। अतः भारत कच्चे तेल के आयात को कम करने का इच्छुक है। कर छूट गैसोलीन के साथ मिश्रित 12% – 15% के इथेनॉल हिस्से पर लागू होगी, जो पहले 10% थी। आदेश में कहा गया है कि डीजल के लिए वनस्पति तेलों से प्राप्त लंबी श्रृंखला वाले फैटी एसिड के एल्काइल एस्टर के हिस्से पर 20% छूट लागू होगी।
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(6) बेहतर प्रदर्शन (Improved Performance)
उपयोग में लाए जा रहे एथेनॉल और गैसोलीन के मिश्रण में ऊर्जा के अंतर के आधार पर ईंधन अर्थव्यवस्था पर प्रभाव भिन्न भिन्न होता है। जैसे- E85 जिसमें 83% एथेनॉल होता है, गैसोलीन की तुलना में प्रति गैलन लगभग 27% कम ऊर्जा होती है। फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल (FFV) गैसोलीन के लिए अनुकूलित होते हैं, यदि इन्हें उच्च एथेनॉल मिश्रण पर चलाने के लिए अनुकूलित किया गया, तो इंजन दक्षता में वृद्धि के परिणामस्वरूप ईंधन की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होने की संभावना है| एथेनॉल में गैसोलीन की तुलना में अधिक ऑक्टेन नंबर होती है, जो अधिक शक्ति और बेहतर प्रदर्शन करती है।
उदाहरण के लिए- Indianapolis – 500 ड्राइवर अपनी रेसिंग कारों में E85 फिलिंग कराते हैं क्योंकि इनकी ऑक्टेन संख्या उच्च होती है।
फ्लेक्स ईंधन के नुकसान (Flex fuel ke nuksaan)
फ्लेक्स फ्यूल के कुछ नुकसान भी है। अतः इस प्रकार के वाहन को खरीदने से पहले इन नुकसान को जानना भी आवश्यक है। आइए इन हानियों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।
(1) एकमात्र फसल उपयोग (Sole crop use)
फ्लेक्स फ्यूल– इथेनॉल को चीनी और मक्का के उपयोग से निरंतर उत्पादित किया जा सकता है। इथेनॉल के उत्पादन के लिए उपयोग में लाई गई फसल को किसी अन्य उपयोग के लिए नहीं किया जा सकता। ये संभावित रूप से पशु आहार की कीमतों को बढ़ा सकता है। मक्का बिमारी और मौसम की खराब स्थिति जैसे बाढ़ और सूखा के लिए बहुत ही लाभप्रद होती है। इथेनॉल बनाने के लिए मक्का की आवश्यकता होती है। यदि मक्का की पैदावार कम हुई तो मक्का की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
(2) संभावित इंजन क्षति (Possible Engine Damage)
हम अपने वाहन के इंजन को सही सलामत रखने के लिए बहुत रखरखाव करते हैं। लेकिन इथेनॉल गंदगी को अवशोषित कर लेता है। जिससे इंजन में जंग लग सकती है। जो आपके इंजन को खराब कर सकता है, व नुकसान पहुंचा सकता।
(3) कम माइलेज (Less Mileage)
फ्लेक्स फ्यूल वाहन की सबसे बड़ी समस्या इसका कम माइलेज होना है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ दावा करते हैं कि फ्लेक्स फ्यूल वाले वाहनों का माइलेज सामान्य वाहन के समान ही है। जबकि अन्य का दावा है कि फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल (Flexible fuel vehicle) का माइलेज कम होता है। यद्यपि इथेनॉल वाहन की ओक्टेन स्तर को बढ़ाता है। लेकिन इसमें कम एनर्जी होती है। अर्थात्ः समान ऊर्जा स्तर प्रदान करने में एथनॉल की गैसोलीन की अपेक्षा 1.5 गुना अधिक खपत होती है। इसलिए इथेनॉल पेट्रोल या डीजल की अपेक्षा प्रति लीटर कम माइलेज देता है। लेकिन साथ ही साथ ये भी जानना जरूरी है कि एथनॉल गैसलीन की अपेक्षा सस्ता होता है। इसलिए वाहन मालिको का बजट नहीं बिगड़ता है।
निष्कर्ष ( Conclusion)
हालांकि आने वाले समय में फ्लेक्स फ्यूल के फायदे और नुकसान – Flex-fuel ke fayede aur nuksaan पर बहस होगी, लेकिन प्रथम दृष्टया पर्यावरण के अनुकूल और किफायती ईंधन स्रोत के रूप में इथेनॉल का उपयोग सही प्रतीत मालूम होता है। आजकल एथेनॉल शोधन संयंत्र खोल रहे हैं। अगर आप अभी तक फ्लेक्स फ्यूल वाहन खरीदने की स्थिति में नहीं है तो आप भविष्य में इसकी योजना बना सकते हैं। समय के साथ साथ प्रौद्योगिकी हमेशा बदलती रहती है, इसलिए यह अनुमान लगाना कठिन है की आगामी वर्षों में फ्लेक्स फ्यूल के वाहनों में क्या नया सुधार होगा | हो सकता है कि आप पहले से ही फ्लेक्स ईंधन वाली कार चला रहे हो और आपको पता भी न हो। आमतौर पर फ्लेक्स फ्यूल वाहन अन्य वाहनों से अलग नहीं दिखते हैं, लेकिन कुछ संकेत हैं जिनसे हम इन वाहनों को पहचान सकते हैं। जैसे कुछ निर्माता फ्लेक्स फ्यूल वाहनों में पीले कलर का ईंधन कैंप लगाते हैं या पीली रिंग लगाते हैं जहाँ पर पेट्रोल पम्प का नोजल डाला जाता है तथा कुछ वाहनों की फ्लेक्स फ्यूल के लेवल लगे होते हैं।
Faq
Q1: भारत में पहली फ्लेक्स फ्यूल कार कौनसी लॉन्च हुई है?
Ans : टोयोटा कंपनी की कोरोला एल्टिस कार भारत में लॉन्च हुई , पहली फ्लेक्स फ्यूल कार है जो 100% एथेनॉल पर चलती है।
Q2: भारत में फ्लैक्स फ्यूल इथेनॉल की कितनी कीमत है?
Ans : भारत में फ्लेक्स फ्यूल की कीमत 60 से ₹62 प्रति लीटर है।
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