Expansion of the metric system – मीट्रिक प्रणाली का विस्तार

इस संसार में नित्य नए अनुसंधान, आविष्कार और प्रयोग हो रहे हैं। जिसके फलस्वरूप डेटा बढ़ता जा रहा है। जैसे जैसे डिजिटल डेटा बढ़ता गया उसे संग्रहित करने में परेशानी हो रही है। दुनिया को लगातार बढ़ती हुई संख्या को समझने के लिए अधिक इकाई यूनिट मापन की आवश्यकता है। आधुनिक समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मापन के लिए मीट्रिक प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। जैसे जैसे डेटा (आंकड़े) बढ़ते गए, उसे समझने के लिए मापन की बड़ी व छोटी इकाइयों की आवश्यकता हुई। इसलिए मीट्रिक प्रणाली में नई पूर्वलग्न समय समय पर सम्मिलित होती गई। हाल ही में मेट्रिक प्रणाली में चार नई पूर्वलग्न सम्मिलित हुईं है। जिससे मीट्रिक प्रणाली का विस्तार expansion of the metric system  हुआ है। जिनके बारे में हम इस लेख में विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे।

expansion of the metric system

मीट्रिक प्रणाली का विस्तार expansion of the metric system

मीट्रिक प्रणाली में सम्मिलित हुईं नई पूर्वलग्नों ( Prefixes) की चर्चा करने से पहले हम मीट्रिक प्रणाली को समझने का प्रयास करेंगे।

मीट्रिक प्रणाली – Metric System

अंतर्राष्ट्रीय माप तौल समिति ( International Bureau of weight and Measures) ने सन् 1960 में सभी भौतिक राशियों को मापने के लिए एक पद्धति स्थापित की। इसको अंतरराष्ट्रीय मात्रक पद्धति या मीट्रिक प्रणाली या SI units कहते हैं। मीट्रिक प्रणाली दैनिक जीवन में उपयोगी वस्तुओं को मापने की विशिष्ट प्रणाली है। हम वस्तुओं को उसकी लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई, द्रव्यमान,क्षेत्रफल, आयतन आदि के द्वारा मापते हैं। जैसे यदि हमारे पास जल से भरा कोई जार है तो जल के आयतन को लीटर में तथा जार की ऊँचाई को मीटर में मापते हैं। मीट्रिक प्रणाली विश्व के अधिकांश देशों में अपनाई जाती है, इसलिए इसे SI units अर्थात International System of units भी कहा जाता है। मीट्रिक प्रणाली दूरी, लंबाई, आयतन, द्रव्यमान, समय और ताप आदि के मापन की अंतरराष्ट्रीय मानक प्रणाली है। जिस प्रकार, मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ मनुष्यों ने एक दूसरे के विचारों को समझने के लिए भाषा विकसित की, उसी प्रकार दैनिक जीवन में बस्तुओं के लेन देन, क्रय-बिक्रय में आसानी के लिए मापन की पद्धतियों का आविष्कार किया। मापन का कार्य प्राचीन काल से होता आ रहा है, लेकिन उस समय भिन्न भिन्न स्थानों पर मापन के लिए निर्धारित मानक भी भिन्न भिन्न थे। बर्तमान विज्ञान के युग में विश्व के किसी भी कोने में रहने वाले लोग परस्पर संपर्क में हैं, तब यह आवश्यक हो गया है की मापन की पद्धति सभी स्थानों पर समान व स्थिर हों | किसी भौतिक राशि के मापन के लिए उस राशि के एक निश्चित परिमाण को मानक (standard) मान लिया जाता है, और इस मानक को जो नाम दिया जाता है उसे उस राशि का मात्रक (unit) कहते हैं। किसी दी राशि की इसके मात्रक से तुलना करने को ही मापन कहते हैं।
उदाहरण- यदि ये कहा जाये की गेहूं की बोरी में 60 किलोग्राम गेहूं है तो इसका ये अर्थ हुआ कि द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है तथा गेहूं की बोरी के द्रव्यमान में 60 बार सम्मिलित है। इसी प्रकार किसी छड़ की लंबाई 15 मीटर है तो इसका अर्थ हुआ कि लंबाई का मात्रक मीटर है और छड़ की लंबाई में यह 15 बार सम्मिलित है। यदि लंबाई का मात्रा सेंटीमीटर लें तो इसी छड़ की लंबाई 1500 सेंटीमीटर होगी तथा मिलीमीटर मात्रक लेने पर छड़ की लंबाई 15,000 मिलीमीटर होगी। अर्थात भौतिक राशि का मात्रक जितना छोटा होगा, किसी निश्चित राशि के मापन का आंकिक मान उतना ही अधिक होगा। अर्थात् किसी भौतिक राशि का आंकिक मान उसके मात्रक के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

मूल मात्रक एवं मीट्रिक प्रणाली की मूल राशियाँ (Fundamental units & Fundamental quantities of Metric System)

भौतिक राशियाँ दो प्रकार के होती हैं — (1) मूल राशियाँ (Fundamental quantities) (2) व्युत्पन्न मात्रक (Derived quantities)
वे राशियाँ (quantities) जिन्हें व्यक्त करने के लिए किसी अन्य भौतिक राशि की आवश्यकता नहीं होती, मूल राशियाँ (Fundamental quantities) कहलाती है। जैसे यांत्रिकी में तीन मूल राशियाँ हैं- (1) लम्बाई (2) द्रव्यमान (3) समय।
वे राशियाँ जिन्हें व्यक्त करने के लिए अन्य राशियों की आवश्यकता होती है व्युत्पन्न राशियां (Derived quantities) कहलाती है। जैसे – वेग, घनत्व, आयतन, बल, कार्य आदि। Also read  —  इंजेक्शन से मुक्ति – injection se mukti
मूल राशियों के मात्रक ही मूल मात्रक (Fundamental units) कहलाते हैं। अतः वह मात्रक जो किसी भी अन्य मात्रक पर निर्भर नहीं करता अर्थात जिसे किसी भी अन्य भौतिक राशि के मात्रक में बदला या उससे संबंधित नहीं किया जा सकता। मूल मात्रक कहलाता है।
मीट्रिक प्रणाली में सन 1960 में सात मूल मात्रकों तथा दो पूरक मात्रकों का निर्धारण किया। इन्हें हम निम्न तालिका के माध्यम से समझ सकते हैं।

 
मात्रक का प्रकार

( Type of Unit )

राशि

( Quantity )

मात्रक

( Unit )

Abbr.
मूल मात्रक

( Fundamental Units )

1.  लम्बाई ( length) मीटर m
2. द्रव्यमान (mass) किलोग्राम kg
3. समय  ( time) सेकण्ड s
4. ताप  ( temperature ) केल्विन K
5. ज्योति तीव्रता ( luminous intensity ) केण्डिला cd
6. वैद्युत धारा  ( electric current ) ऐम्पियर A
7. पदार्थ की मात्रा ( amount of substance ) मोल mol
पूरक कोण

( Supplementary Units

1. कोण  ( angle ) रेडियन rad
2. घन कोण ( solid angle ) स्टेरेडियन sr

मीट्रिक प्रणाली की नई पूर्वलग्नें (New prefixes in Metric System)

18 नवंबर 2022 को फ्रांस के वर्साय (Versailles) में आयोजित वजन और मापन के 27 वें आम सम्मेलन में चार नए prefixes को मीट्रिक सिस्टम में सम्मिलित किया गया। जिससे  मीट्रिक प्रणाली का विस्तार – expansion of the metric system हुआ है । ये हैं – रोना (ronna-) क्वेटा(quetta-) , रोंटो (ronto-) और क्वेक्टो (quecto-)। जिनमें ronna- और quetta- बहुत बड़ी संख्या का वर्णन करते हैं जबकि ronto- और को quecto- बहुत छोटी संख्या को प्रदर्शित करते हैं।

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सन् 1991 के बाद ये पहली बार है कि International system of units ( SI units) या मीट्रिक प्रणाली में चार नई prefixes जोड़ी गयीं है। इससे पहले सन् 1991 में चार उपसर्ग zetta- , yotta-, zepto-, और yocto– को जोड़ा गया था |
आंकिक रूप से — ronna- 1027  है अर्थात (27 zeroes after the first digit) और quetta- 1030 है अर्थात (30 zeroes after the first digit) , इन दोनों prefix के छोटे समकक्ष ronto- और quecto- हैं। जिसमें ronto- 10-27 अर्थात् (27 zeroes after the decimal point) है, और quecto- 10-30 ( 30 zeroes after the decimal point) है|
UK’s National Physical Laboratory में Metrology विभाग के Head Richard Brown ने बताया — अधिकतर लोग milli- prefix से मिलीग्राम के रूप में परिचित हैं, लेकिन इन चार पूर्वलग्नों के जोड़े जाने के बाद quetta- सबसे बड़ी और quecto- सबसे छोटी prefix है | मीट्रिक प्रणाली में इससे पहले yotta- (24 zeroes after the first digit) सबसे बड़ी prefix थी, लेकिन अब पृथ्वी का द्रव्यमान 6000 योटाग्राम के बजाय 6 रोनाग्राम कहा जा सकता है। सूर्य को 2000,000,000 योटाग्राम के बजाय लगभग 2000 क्वेटाग्राम कहा जा सकता है।        रिचर्ड ब्राउन ने बताया कि–  “That change was largely driven by the growing requirements of data science and digital storage, which is already using prefixes at the top of existing range.”   also read  —  दुनिया का सबसे स्वच्छ ईधन
इन चारों prefix ronna-, quetta-, ronto- और quecto- का आविष्कार वहुत ही सही समय पर हुआ है क्योंकि वर्तमान विश्व बढ़ते हुए डेटा के कारण उसको आसानी से संगृहीत करने के लिए परेशान है। मार्केट रिसर्च ग्रुप इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन ने अपने अध्ययन में बताया कि वर्ष 2025 तक दुनिया में लगभग 175 zettabytes डेटा उत्पन्न हो सकता है। UK’s National Physical Laboratory ने बताया कि क्वांटम साइंस और पार्टिकल फिजिक्स में प्रयुक्त होने वाली छोटी संख्याओं के लिए ronto- व quecto- उपयोगी हो सकता है। जैसे एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 0.001 योक्टोग्राम के बजाय 1 रोंटोग्राम कहा जा सकता है। prefix ronna- को ‘R‘ , तथा quetta– को ‘Q‘ से प्रदर्शित किया जाता है, जबकि prefix ronto- को ‘r‘ और quecto- को ‘q’ से प्रदर्शित करते है।                   also read —    The General Conference on Weights and Measures (CGPM),

मीट्रिक प्रणाली की वर्तमान पूर्वलग्नें ( current prefixes of Metric system)

 
पूर्वलग्न

( Prefix )

Abbr. Power Multiplier
deca da 101 10
hecto h 102 100
kilo k 103 1000
mega M 106 1000000
giga G 109 1000000000
tera T 1012 1000000000000
peta P 1015 1000000000000000
exa E 1018 1000000000000000000
zetta Z 1021 1000000000000000000000
yotta Y 1024 1000000000000000000000000
ronna R 1027 1000000000000000000000000000
quetta Q 1030 1000000000000000000000000000000
deci d 10-1 0.1
centi c 10-2 0.01
milli m 10-3 0.001
micro μ 10-6 0.000001
nano n 10-9 0.000000001
pico p 10-12 0.000000000001
femto f 10-15 0.000000000000001
atto a 10-18 0.000000000000000001
zepto z 10-21 0.000000000000000000001
yocto y 10-24 0.000000000000000000000001
ronto r 10-27 0.000000000000000000000000001
quecto q 10-30 0.000000000000000000000000000001

 

निष्कर्ष (Conclusion) —

यह संसार परिवर्तनशील है और प्रत्येक वस्तु में परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों के फलस्वरूप ज्ञान में वृद्धि होती जा रही है और गणनाओं में भी वृद्धि होती जा रही है। जिससे बढ़ते हुए डेटा को संभाल पाना मुश्किल होता जा रहा है। क्वांटम कंप्यूटिंग और डिजिटलीकरण के युग में बड़ी संख्याओं की अपेक्षा छोटी संख्याओं पर कार्य करना आसान है। अतः वर्तमान समय की समस्याओं को देखते हुए 18 नवंबर 2022 को अन्तर्राष्ट्रीय माप-तौल समिति ने मीट्रिक प्रणाली का विस्तार – expansion of the metric system  करते हुये चार नई पूर्वलग्न (prefix) का आविष्कार किया | जिसमें ronna- और quetta- बहुत बड़ी संख्याओं को निरूपित करने के लिए तथा ronto- और quecto- बहुत छोटी छोटी संख्याओं को निरूपित करने के लिए प्रयोग में लाया जाएगा। इन नई prefixes से गणित, खगोलीय विज्ञान, माइक्रोबायोलॉजी, कंप्यूटर साइंस तथा क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में डेटा के साथ कार्य करने में आसानी होगी।

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FAQ

Q. 1: हमें नए पूर्वलग्नों (prefixes) की आवश्यकता क्यों हुई?
Ans. : वर्तमान समय में दुनिया में डेटा की मात्रा तेजी से बढ़ती जा रही है। क्वांटम कंप्यूटिंग और डिजिटलाइजेशन के दौर में डेटा को संभालना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि मौजूदा उपसर्ग अपने उच्चतम उपयोग पर थे, इसलिए इन नई prefix को जोड़ा गया।

Q2 : इन पूर्वलग्नों (prefixes) को कैसे उपयोग में लाया जायेगा?
Ans : इन prefixes को मीट्रिक प्रणाली या International System of units में सम्मिलित किया गया है। हम सभी SI units को उपयोग में लाते हैं, अतः इन्हें प्रयोग में लाना बहुत ही आसान है। हम पूर्वलग्नों को मात्रक के साथ प्रयोग में लाते हैं। व्यक्तियों को बड़ी संख्या के अपेक्षा छोटी संख्या याद करने में आसानी होती है। जैसे सूर्य का द्रव्यमान 200,000,000 yottagram के बजाय 2000 quettagram याद करने में आसानी होगी।

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