भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent

पेड़ पौधे, नदियाँ, झरने, पशु, पक्षी आदि प्रकृति की अनूठी और अनमोल कृतियाँ हैं। जब हम इनके बीच में होते हैं तो हमारी सारी थकान छू हो जाती है और हम ताजा और स्फूर्तिवान महसूस करते हैं। हमारे चारों ओर प्रकृति की जैव संपदा व्याप्त है। भारत में हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक तथा पश्चिमी घाट से अरुणाचल प्रदेश तक जैवविविधता का जाल बिछा हुआ है, जहाँ पर प्राकृतिक सौंदर्य और जैवविविधता का अद्वितीय आनंद लिया जा सकता है। सच में भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent है। प्रस्तुत लेख में हम भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाने वाली जैवविविधता के बारे में तथा साथ ही साथ हम संकटग्रस्त जैवविविधता और जैवविविधता पर आने वाले संकट के बारे में चर्चा करेंगे —

A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent

भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent

भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent है। यहाँ की भूमि पर स्थलीय जैवविविधता पाई जाती है, जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और जीव जंतुओं की अद्वितीयता का आनंद लिया जा सकता है। इस अद्भुत उपमहाद्वीप में वन्य जीवों का घर बना हुआ है, जो संकट और अपनी महत्वपूर्णता के साथ घिरा हुआ है। भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भूभागों में जैवविविधता का खजाना बिखरा हुआ है, पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाओं से लेकर पूरब में अरुणाचल प्रदेश तक तथा उत्तर में पर्वतराज हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक समृद्ध जैवविविधता के जीवंत दर्शन होते हैं। हिमालय पर्वत क्षेत्र, पश्चिमी घाट, इंडो बर्मा क्षेत्र, सुन्दर लैंड, तराई दुवार सवाना, सुंदर वन, भारतीय मरुस्थल, नीलगिरी की पहाड़ियाँ आदि विभिन्न जैव समुदायों का घर है। या यूं कहें कि यह जैवविविधता के समृद्ध क्षेत्र हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent

भारत में जैव विविधता की स्थिति Status of Biodiversity in India

ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवित रूप से 5 – 50 मिलियन प्रजातियाँ अस्तित्व में है। लेकिन विभिन्न शोधों व जर्नल में प्रजातियों की संख्या भिन्न भिन्न बतायी जाती है। इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज (IUCN) में प्रकाशित सूचना के अनुसार पृथ्वी पर पौधों व पशुओं की लगभग 1.7 मिलियन प्रजातियां पाई जाती है। लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट समझ नहीं है, कि कितनी प्रजातियां अभी खोज के लिए रह गई है। पृथ्वी पर अब तक ज्ञात प्रजातियों का एक अनूठा संसार है। अभी तक ज्ञात कुल प्रजातियों में से 70% पशुओं की प्रजातियाँ है। तथा पादप प्रजातियाँ, जिनमें शैवाल, कवक, ब्रायोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म शामिल हैं कुल ज्ञात प्रजातियों का 22% है। सबसे रोचक बात ये है कि कुल पशु प्रजातियों में से 75% केवल कीड़े मकोड़े हैं। अर्थात् 10 पशुओं में से 7 तो केवल कीड़े मकोड़े ही हैं। विश्व में उपस्थित लगभग 1.7 मिलियन प्रजातियों में से हरे पौधे, कवक, बैक्टीरिया व वायरस की 4,27,205 प्रजातियाँ हैं। कशेरुकियों (Vertebrate) और प्रोटो-कॅार्डेटा (Protochordata) की लगभग 61,917 प्रजातियाँ हैं। तथा 12,32,490 प्रजातियाँ अकशेरुकी (Invertebrates), और प्रॅाटिस्टा (Protista) की है।
भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का 2.45% है। भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 1,35,261 प्रजातियां पाई जाती है जो विश्व की कुल जैवविविधता का 8.10% है। इसलिए हमारा देश विश्व के शीर्ष 12 जैवविविधता समृद्ध देशों में शामिल हैं। हमारा भारत जैवविविधता का वैविलोवियन केंद्र है। वैविलोवियन केंद्र भूमंडल पर उत्पत्ति का केंद्र है। वैविलोवियन केंद्र एक भौगोलिक क्षेत्र हैं, जहाँ पर जीवधारियों के समूह ने सबसे पहले अपने अभिलक्षाणिक गुण विकसित किए। उत्पत्ति के केंद्रों को सन् 1924 में सबसे पहले निकोलस वैविलोव ने परिभाषित किया। इसलिए इनका नाम वैविलोवियन केंद्र पढ़ा। भारत में फसलों की 167 प्रजातियां, जंगली फसल संबंधी 320 प्रजातियां तथा पालतू जानवरों की बहुत सी प्रजातियों का उद्गम स्थल है। भारत में पौधों की लगभग 45,944 प्रजातियां पायी जातीं हैं, जो विश्व की कुल पादप प्रजातियों का 10.75% हैं। इनमें से लगभग 18,000 प्रजाति फूल के पौधों (angiosperms) की है। हमारा देश पशु संपदा में भी समृद्ध है। हमारे देश में पशुओं की लगभग 89,317 प्रजातियां पायीं जाती हैं। जिनमें से 75% कीड़े मकोड़े है। भारत में पशुओं की कुल प्रजातियों में से 4952 प्रजातियां प्रोटो-कॅार्डेटा सहित कशेरुकी जीवों की और 84,365 प्रजातियां प्रोटिस्टा सहित अकशेरुकी जीवों की हैं। भारत में स्थानिकता की दरें- सरीसृपों में 33%, उभयचरों में 41%, स्तन-धारियों में 9% तथा पक्षियों में 4% हैं| भारतीय उपमहाद्वीप में ऐसी असंख्यों प्रजातियां हैं जिनकी अभी तक पहचान की जानी बाकी है। शोध बताते हैं कि भारत में कुल प्रजातियां में से 22% का ही पता लगाया जा सका है। ये अनुमान है कि पौधों की लगभग 1,00,000 प्रजातियों और पशुओं की लगभग 3,00,000 प्रजातियों को अभी खोजा जाना व पहचाना जाना बाकी रह गया है। लेकिन सबसे चिंताजनक बात ये है कि इनके खोजे जाने से पहले ही इन प्रजातियां पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है। इसके अतिरिक्त सूखे स्थानों की अपेक्षा बर्षा वाले स्थानों में जैवविविधता अधिक पायी जाती है। उष्णकटिबंधीय वर्षावन जैवविविधता के समृद्ध क्षेत्र हैं। इनका क्षेत्रफल कुल विश्व के कुल क्षेत्रफल का 7% है, जबकि यहाँ पर कुल प्रजातियों की 90% प्रजातियां पायीं जाती हैं। भारत के जैव भौगोलिक क्षेत्रों में प्रजातियों की प्रचुर विविधता पायी जाती है।

Join my Whatsapp Channel

भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent

भारत में जैवविविधता के भौगोलिक क्षेत्र

  • भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता समृद्ध कुछ भौगोलिक क्षेत्रों के बारे में बात करेंगे। भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता को दो प्रमुख जैव भू क्षेत्र है – (1) पैलिआर्कटिक जैव भू क्षेत्र (Palearctic realm) , (2) इंडोमलायन जैव भूक्षेत्र (Indomalayam realm)                             प्रकृति की अमूल्य धरोहर
    तथा तीन बायोम (Bioms) हैं- (1) उष्णकटिबंधीय वर्षावन (The Tropical humid forest), (2) उष्णकटिबंधीय शुष्क / पर्णपाती वन (The Tropical dry/deciduous forest),  (3) गर्म रेगिस्तान / अर्ध रेगिस्तान (Warm desert / Semi deserts)
  • भारत में जैवविविधता के 4 हॉटस्पॉट हैं- (1) पश्चिमी घाट (Western Ghats), (2) हिमालय(Himalaya), (3) भारत-बर्मा क्षेत्र(Indo-Verma Region), और (4) सुंदलैंड क्षेत्र(Sunderland Region) |
  • भारत में 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्र हैं। –(1) ट्रांस हिमालय क्षेत्र (Transhimalyan Region),
    (2) हिमालय क्षेत्र (Himalayan Region)
    (3) भारतीय रेगिस्तान (राजस्थान का थार) (Indian Desert)
    (4) अर्द्ध शुष्क क्षेत्र (तराई का क्षेत्र) (Semi arid zone)
    (5) पश्चिमी घाट (Western Ghats)
    (6) डेक्कन प्रायद्वीप (Deccan Peninsula) (गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में स्थित)
    (7) गंगा के मैदान (Gangetic Plain)
    (8) तटीय क्षेत्र (Coastal Region)
    (9) पूर्वोत्तर क्षेत्र (Northeast Region)
    (10) अंडमान और निकोबार द्वीप (Andaman and Nicobar island)
    इन सभी जैव भौगोलिक क्षेत्रों में डेक्कन प्रायद्वीप का क्षेत्रफल भारतीय भौगोलिक क्षेत्रफल का 42% है। ये क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध है। पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर क्षेत्र भारतीय जैव भौगोलिक क्षेत्र का 4% तथा 5.2% है। इन क्षेत्रों में जैवीय आवास, जैविक समुदाय और पारिस्थितिक तंत्र की प्रचुरता है।
  •  भारत में 18 बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserve) , 54 टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve), 106 राष्ट्रीय पार्क (National Park) तथा 565 वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuary) है। तथा 7 जैव-प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल और 75 रामसर आर्द्रभूमि (Ramsar Wetlands) है।    क्या लाइट भी प्रदूषण फैलाती है? – Does light also spread pollution?

संकटग्रस्त जैवविविधता

आज पूरे विश्व में जैवविविधता का ह्रास होता जा रहा है। वर्तमान समय में पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं है जहाँ पारस्थितिकीय आपदाएं न आतीं हों। पृथ्वी पर अभी भी ऐसी बहुत सी प्रजातियां हैं जिनको सूचीबद्ध नहीं किया जा सका है। लेकिन इसमें कोई भी संदेह नहीं है कि पृथ्वी पर दिन प्रतिदिन जैव विविधता का ह्रास होता जा रहा है। वर्तमान समय में पृथ्वी पर लगभग 1.7 मिलियन ज्ञात प्रजातियां हैं। शोध बताते हैं कि इसका एक तिहाई या एक चौथाई भाग अगले कुछ दशकों में विलुप्त हो सकता है। किसी प्रजाति के विलुप्त होने में अनुमानित 1000 वर्ष लगते हैं, परंतु मनुष्यों के अनुचित क्रियाकलाप ने इस विलुप्तीकरण की दर को बहुत ही तीव्र कर दिया है। शोधों के अनुसार — वर्ष 1600 तथा 1500 के मध्य मानव गतिविधियों के द्वारा विलुप्तीकरण की दर हर 10 साल एक प्रजाति तक पहुँच गई थी। ऐसा अनुमान है कि मानवीय हस्तक्षेप के कारण उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में प्रतिवर्ष लगभग 50 प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुँच जाती है।  जैव संपदा के संरक्षण के लिए बनी संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचुरल एंड नेचुरल रिसोर्सेज (IUCN) ने संकटग्रस्त व दुर्लभ प्रजातियों को पांच मुख्य भागों में बांटा, इन्हें रेड लिस्ट कैटेगरी कहा जाता है। IUCN की रेड डाटा लिस्ट संकटग्रस्त व दुर्लभ प्रजातियों को सूचीबद्ध करती है। ये सूची पर्यावरणविदों, नीतिनिर्माताओं व आम इंसानों को जैव विविधता के संरक्षण हेतु आवश्यक जानकारी देती है। आईयूसीएन ने संकटग्रस्त पादप व पशु प्रजातियां से संबंधित पुस्तक का नाम रेड डाटा बुक रखा।  Are we swallowing plastic! — क्या हम प्लास्टिक निगल रहे हैं!
वर्ष 2001 में आईयूसीएन का नाम बदलकर विश्व संरक्षण संघ (World Conservation union) हो गया। विश्व संपदा संघ ने दुर्लभ व संकटग्रस्त प्रजातियों को 9 रेड सूची में विभाजित किया—

  1. Extinct (EX) (पृथ्वी से लुप्त प्रजाति)
  2. Extinct in wild (EW) (जंगलों से विलुप्त पर चिड़ियाघरों आदि में पायी जाने वाली प्रजाति)
  3. Critically Endangered (CR) (गम्भीर संकट ग्रस्त प्रजाति)
  4. Endangered (EN) ( विलुप्त होने की कगार पर)
  5. Vulnerable (VU) (बहुत ही असुरक्षित प्रजाति)
  6. NEAR Threatened (NT) (संकट के करीब)
  7. Least Concern (LC) (कम चिंताग्रस्त)
  8. Data Deficient (DD) (डाटा की कमी)
  9. Not Evaluated (NT) (बिना मूल्यांकन)       इंजेक्शन से मुक्ति – injection se mukti

आईयूसीएन द्वारा जारी रेड लिस्ट का मुख्य उद्देश्य विश्व भर में बिलुप्त व संकटग्रस्त प्रजातियों को विश्व पटल पर लाना है।
शोध बताते हैं कि उष्णकटिबंधीय प्रशांत द्वीपों में मानवता के उपनिवेशीकरण से पक्षियों की लगभग 2000 प्रजातियां विलुप्त हुई हैं। आईयूसीएन ने बर्ष 2004 में प्रकाशित रेड लिस्ट में बताया कि पिछले 500 वर्षों में पशुओं की 784 प्रजातियां विलुप्त हुई, जिनमें 338 कशेरुकीय, 359 अकशेरुकी तथा 857 प्रजातियां पादपों की है। यदि हम हाल के कुछ दशकों की बात करें तो उनमें- डोडो ( मॉरिशस), क्वागा (दक्षिण अफ्रीका), थाइलेसिन (ऑस्ट्रेलिया), स्टेलर की समुद्री गाय (रूस) और चीतों की तीन उपजातियां- बाली, जावानीस, कैस्पियन जैसी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। साथ ही पिछले 20 वर्षों में 27 प्रजातियां विलुप्त हो गई है। शोधों से पता चला है कि किसी भी प्रजाति का विलुप्तीकरण अचानक नहीं होता, वे धीरे धीरे विलुप्त होने की कगार पर पहुंचते हैं। कुछ समूह और उभयचरों का अस्तित्व खतरे की ओर उन्मुख है। वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो पता चलता है कि विश्व की लगभग 15,500 प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे को झेल रही हैं। इनमें से 12% पक्षियों की प्रजातियां, 23% स्तनपायी जीवों की प्रजातियां, 32% उभयचरों की प्रजातियां तथा 31% जिम्नोस्पर्म प्रजातियां शामिल हैं। जीवाश्म के अध्ययन से पता चलता है कि सृष्टि के उद्भव लगभग चार अरब वर्ष पहले से लेकर अब तक पांच बार जैवविविधता का सामूहिक विलुप्तीकरण हो चुका है। अब छठवां प्रकरण चल रहा है। लेकिन मानवों के अनुचित क्रियाकलापों की वजह से इस बार के विलुप्तीकरण की दर पिछली बार से 100 से 1000 गुना तक बढ़ गई है। पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि यदि विलुप्तीकरण की दर इसी तरह चलती रही तो अगले 100 वर्षों में पृथ्वी से लगभग आधी प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।

भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent

निष्कर्ष Conclusion

प्रस्तुत लेख में हमने भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent विषय पर विस्तार से चर्चा की। हमने जानने का प्रयास किया कि भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता के समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ पर जैवविविधता उत्तर में पर्वतराज हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक तथा पश्चिमी घाट से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक बिखरी हुई है। हमारी पृथ्वी पर लगभग 1.7 मिलियन प्रजातियां अस्तित्व में हैं।, जिनकी खोज हो चुकी है। इनमें से विश्व में पाई जाने वाली कुल प्रजातियों का 8.10% भारत में निवास करती हैं, तथा भारत जैवविविधता संपन्न देशों में शीर्ष 12 देशों में शामिल हैं। भारतीय उपमहाद्वीप दो जैव-भू-क्षेत्रों में बसा हुआ है, जिसे पैलिआर्कटिक तथा इंडोमलायन कहते हैं। भारत में 3 बायोम तथा 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्र हैं, जिनमें जैवविविधता का अनूठा संगम उपस्थित है। जैवविविधता, उसके प्रकार तथा महत्त्व के बारे में हमने पिछले लेख प्रकृति की अमूल धरोहर में विस्तार से पढ़ा। प्रस्तुत लेख में हमने भारत में पाए जाने वाली विभिन्न प्रजातियां के बारे में जाना तथा इसके साथ साथ हमने संकटग्रस्त व विलुप्त प्रजातियां के बारे में जाना। आईयूसीएन विश्व स्तर की एक संस्था है जो संपूर्ण विश्व में प्राकृतिक जैव संपदा की निगरानी रखती है। आईयूसीएन द्वारा संकटग्रस्त व विलुप्त प्रजातियों से सम्बन्धी रेड डाटा बुक बनाई है, जो पारिस्थितिकविदों, नीति-निर्माताओं व सरकारों को प्रजातियों के संरक्षण में सहायता करती है। हम सभी पृथ्वी वासियों को जैव संपदा का संरक्षण करने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

Join my Whatsapp Channel

Watch video–

प्रश्नोत्तर FAQ

Q1: भारत को कितने भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है?
Ans: भारत में 10 जैव-भौगोलिक क्षेत्र हैं- 1.ट्रांस हिमालय क्षेत्र(Transhimalyan Region), 2. हिमालय क्षेत्र (Himalayan Region), 3. भारतीय रेगिस्तान (राजस्थान का थार) (Indian Desert), 4. अर्द्ध शुष्क क्षेत्र (तराई का क्षेत्र) (Semi arid zone), 5. पश्चिमी घाट (Western Ghats), 6. डेक्कन प्रायद्वीप (Deccan Peninsula) (गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में स्थित), 7. गंगा के मैदान (Gangetic Plain), 8. तटीय क्षेत्र (Coastal Region), 9. पूर्वोत्तर क्षेत्र (Northeast Region), 10. अंडमान और निकोबार द्वीप (Andaman and Nicobar island)
Q2: भारत में सर्वाधिक जैव विविधता वाला क्षेत्र कौन सा है?
Ans: डेक्कन प्रायद्वीप का क्षेत्रफल भारतीय भौगोलिक क्षेत्रफल का 42% है। ये क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध है।

 

 

Share This :

4 thoughts on “भारतीय उपमहाद्वीप में जैवविविधता का सच्चा खजाना- A true treasure trove of biodiversity in the Indian subcontinent”

  1. Blazing Facts »

    Кракен магазин – топовый сервис по продаже позиций особого применения. Наиболее удобным для клиента можно отметить моментальные заказы, а так же доступность. После оплаты заказа, вы сразу же сможете забрать товар – не нужно ничего ждать. На сайт Kraken shop можно свободно попасть, если знаешь рабочее зеркало – https://xn--2ran-g0a.com
    , сайт доступен как через Тор, так и из обычного браузера. Данный сайт является шлюзом направляющим на официальный ресурс Кракен магазин .

    кракен ссылка на сайт

    кракен ссылка

  2. Please Read:
    Желаете узнать о маркетплейсе,где возможно приобрести товары особой направленности, которые не найдешь больше ни на одной торговой онлайн-площаке? В таком случае кликай и переходи на крупнейшую платформу Кракен: . Здесь вы всегда найдете нужные Вам товары на любой вкус. Кракен магазин занимает место в рейтинге Российских черных рынков, считается одним из самых популярных проектов сети TOR. Веб-сайт особый в своем роде — сделки совершаются в любое время суток на территории СНГ, шифрование сайта гарантирует максимальную анонимность.

    кракен сайт ссылка

Leave a Comment

भारत में जैविक खेती योग के 7 अद्भुत वैज्ञानिक लाभ भारत में जैवविविधता के क्षय के कारण विश्व पर्यावरण दिवस संकटग्रस्त जैवविविधता