आज संपूर्ण विश्व में मानवीय स्वास्थ्य को बरकरार रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका है। दुनिया का प्रत्येक देश आज योग के महत्व को समझ रहा है। भारत में प्राचीन काल से ही योगाभ्यास दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बना हुआ है, इसी क्रम में 11 दिसंबर सन 2014 को यूएनजीए ने प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ( International Yoga Day ) मनाने की घोषणा की। इससे संपूर्ण विश्व को योग के प्राणायाम व आसनों का लाभ मिल सके। योगाभ्यास करने से अनेक शारीरिक व मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। आज हम इस लेख में योग के 7 अद्भुत वैज्ञानिक लाभ -( 7 Amazing Scientific Benefits of Yoga ) के बारे में चर्चा करेंगे –
योग के 7 अद्भुत वैज्ञानिक लाभ – 7 Amazing Scientific Benefits of Yoga
मानव शरीर में व्याप्त अनेक बीमारियों व व्याधियों को दूर करने में योगाभ्यास की अपनी अलग ही भूमिका है योग में वर्णित आसनों व प्राणायामों को रोजाना करने से मनुष्य के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त होते हैं। 9 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हम आज योग के 7 अद्भुत वैज्ञानिक लाभों -( 7 Amazing Scientific Benefits of Yoga ) के बारे में बात करेंगे , जो निम्न है—
तनाव व चिंता से मुक्ति – Relief from stress and anxiety
आजकल हमारी जिंदगी इतनी व्यस्त या यूं कहें इतनी अस्त-व्यस्त हो गई है कि हम अधिकतर समय बेचैन से रहते हैं। जैसे-जैसे मनुष्य की प्रगति हो रही है, वह काम के बोझ तले दबता जा रहा है और उस कार्य को समय से पूरा करने की जल्दबाजी में मानसिक तनाव का शिकार होता जा रहा है। आजकल की डिजीटल लाइफ में हम सभी डिजीटल गैजेट्स से घिरे रहते हैं, यह गैजेट्स हमारा काम आसान तो करते ही हैं साथ ही साथ यह हमें अवसाद और चिंता में डालते रहते हैं। इसके अलावा ऐसे बहुत से कारण है जो हमें तनाव व चिंता देते हैं। यह तनाव व चिंता व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट पैदा करती है जो विभिन्न मानसिक समस्याओं का कारण बनती है। इस बढ़ते हुए तनाव व चिंता को कम करने में योग बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग में ऐसे अनेकों आसन व ध्यान विधियां हैं जिसकी सहायता से हम तनाव को कम कर सकते हैं। हमें अपने दैनिक जीवन में आसन, प्राणायाम, ध्यान योग करना चाहिए। सांस संबंधी प्राणायाम जैसी विधियां मस्तिष्क में शांति लाते हैं। योग में मानसिक तनाव को कम करने के कुछ प्राणायाम जैसे भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका आदि महत्वपूर्ण है। इन प्राणायाम के नित्यप्रति अभ्यास करने से हमारे शरीर में फीलगुड वाला हार्मोन उत्पन्न होता है जिससे हमारा तनाव व चिंता कम होने लगती है तथा हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
शरीर के लचीलेपन में वृद्धि – Increase body flexibility
क्या किसी एथलीट को खेल प्रतियोगिता में खेलते हुए देखा है, वह अपने शरीर को किसी भी दिशा में आसानी से घुमा लेते हैं। अपनी मनचाही गति से चलने फिरने व भागने दौड़ने में सक्षम होते हैं, क्योंकि उनके शरीर में लचीलापन होता है। लेकिन एक ही स्थान पर लंबे समय तक बैठे रहने, कम गतिशीलता तथा गलत खानपान से हमारे शरीर की लोच समाप्त हो जाती है। मांसपेशियों व नसों के लचीलापन में कमी आ जाती है, जिससे हम अपने शरीर को इच्छानुसार गति व घुमाव देने में असफल प्रतीत होते हैं। किसी गंभीर चोट या रोग के कारण भी शरीर में जकड़न आ जाती है| शरीर की जकड़न को दूर करने में तथा लचीलापन में वृद्धि करने के लिए योग बहुत ही सहायक सिद्ध होता है। शरीर के लचीलेपन में वृद्धि हेतु 3 आसन बहुत ही महत्वपूर्ण है – मार्जरी आसन, हलासन, धनुरासन । इनमें से मार्जरी आसन पेट व कमर की मांसपेशियों में आराम पहुंचाता है। यह कंधों, पीठ व गर्दन की मांसपेशियों की गतिशीलता बढ़ाता है तथा नसों में रक्त संचार को बेहतर बनाता है। हलासन कंधों, पीठ व रीढ़ की हड्डी में आयी जकड़न को दूर करने में सहायक है। हलासन से पेट की भी कसरत हो जाती है। शरीर की सभी नसों में रक्त प्रवाह बढ़ने लगता है। धनुरासन के नियमित अभ्यास से भी मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिससे शरीर में लचीलापन बढ़ता है। योग के इन आसनों का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए।
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दर्द व सूजन में राहत – Pain and swelling relief
बढ़ती उम्र, अस्त-व्यस्त जीवन शैली, लंबे समय तक पैर नीचे करके बैठने से तथा अन्य विकारों से हाथ पैरों के जोड़ों तथा नसों में दर्द व सूजन आने लगती हैं। कार्टिलेज ऊतकों में कमी आने से तथा क्षतिग्रस्त होने से जोड़ों विशेषकर घुटनों में दर्द होने लगता है इसके अलावा साइटिका, स्पोंडिलाइटिस, गठिया और आर्थ्राइटिस तथा ऐसे ही अन्य रोगों में कंधा, गर्दन, पीठ तथा रीढ़ की हड्डी में तथा हाथों पैरों में तेजी से दर्द होता है। उतकों में टूट-फूट, मांसपेशियों में कमजोरी तथा नसों की शिथिलता भी दर्द व सूजन के लिए बहुत ही जिम्मेदार है। ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने में योग बहुत ही लाभदायक है। रोजाना योग के आसन व प्राणायाम करने से दर्द व सूजन में राहत मिलती है। योग से नसों में रक्त का संचार बढ़ता है तथा मांसपेशियों में मजबूती आती है जिससे धीरे-धीरे दर्द व सूजन में कमी होने लगती है। योग में कई आसन व प्राणायाम हैं जो हमें दर्द व सूजन में आराम दिलाते हैं। बालासन, सर्वांगासन, शलभासन, मर्कटासन, धनुरासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, पाश्र्वोत्तानासन , मलासन, अधोमुख श्वानासन, सेतुबंध आसन, उत्कटासन, विपरीत करणी योग आदि शरीर के दर्द व सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। इनमें से पैरों की सूजन दूर करने के लिए मलासन, अधोमुख श्वानासन, उत्कटासन, त्रिकोणासन तथा पाश्र्वोत्तानासन और वितपरीत करणी योग प्रमुख हैं।
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शक्ति निर्माण में सहायक – Helps in building strength
हमें अपने दैनिक क्रियाकलापों को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है| यह ऊर्जा ही हमें कार्य करने के लिए शक्ति प्रदान करती है| जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह घर , ऑफिस , खेती या व्यापार हो कार्य करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति के अभाव में व्यक्ति बलहीन होकर कुछ भी करने में असमर्थ होता है। गलत जीवनशैली, अनुचित खानपान तथा शरीर में रोगों की उपस्थिति से हमारा शरीर कमजोर होने लगता है, जिससे किसी भी कार्य को करने में हमारा मन ही नहीं लगता। शरीर में शक्ति के निर्माण में योग बहुत ही सहायक होता है प्रतिदिन योगाभ्यास करने से शरीर में स्टेमिना में वृद्धि होती है और हमारा शरीर स्वस्थ और निरोगी होता है। जब शरीर से रोग निकल जाता है तो शरीर सुदृढ़ होने लगता है। कुछ योगासनों का नित्य अभ्यास करके हम अपने शरीर में शक्ति व जोश भर सकते हैं।
- उष्ट्रासन – इसे कैमल पोज भी कहा जाता है। इस आसन को रोजाना करने से पूरे शरीर में लाभ दिखाई देता है। शरीर के तीन हिस्सों कंधे, छाती और कमर इस आसन के अभ्यास से मजबूत बनते हैं। शरीर में लचीलापन बढ़ता है। इस आसन को रोजाना करने से महिला में मासिक धर्म में होने वाले दर्द में विशेष लाभ मिलता है।
- सेतुबंध आसन – सेतुबंध आसन शरीर में खिंचाव लाता है और जकड़न को दूर करता है। यह रीढ़़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। इस आसन को नित्यप्रति करने से कंधों, कमर व रीढ़ की हड्डी में खिंचाव उत्पन्न होता है। यह मस्तिष्क में अवसाद की स्थिति को कम करके शांत करता है, और पाचनतंत्र को ठीक करता है जिससे शरीर में बल की वृद्धि होती है।
- नौकासन – नौकासन के प्रतिदिन अभ्यास करने से पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा पेट में उपस्थित आंतरिक अंगों को भी मजबूती मिलती है। इस योगाभ्यास से पेट व साइड की चर्बी कम होती है। यह आसन कूल्हों की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। इसके साथ-साथ यह आसन रीढ़ की हड्डी में खिंचाव , कमर व गर्दन के दर्द को दूर करने में सहायक है।
इन आसनों को प्रतिदिन करने से हमारे कंधे, कमर, गर्दन व रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी तथा पाचन तंत्र मजबूत होगा, जिससे धीरे-धीरे शरीर में शक्ति का संचार होगा।
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प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि – Increase immunity
प्रतिरोधक क्षमता है या प्रतिरक्षा प्रणाली वह शक्ति है, जो हमारे शरीर की रोगाणुओं, जीवाणुओं, कीटाणुओं, विषाणुओं आदि से रक्षा करती है। प्रतिरोधक क्षमता हमें फफूंदी व परजीवी आदि के हमलों से बचाती है। जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है तो हम जल्दी-जल्दी बीमार होने रखते हैं। अधिक चीनी तथा मीठे पदार्थों, ऑइली फूड, चाइनीस फूड, नॉनवेज, स्मोकिंग और शराब के अत्यधिक सेवन से प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इसके अलावा अपर्याप्त नींद व अनुचित जीवन शैली के फलस्वरुप भी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जब सिर दर्द, जुकाम, बुखार, पेट संबंधी बीमारियां, थकान बार-बार होने लगे तब यह समझ लेना चाहिए कि प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है। प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में योग बहुत ही सहायक हो सकता है। योग में कुछ आसन व प्राणायाम हैं जो प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं। श्वास के उतार-चढ़ाव वाले प्राणायाम- भ्रामरी, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका आदि फेफड़ों को मजबूती प्रदान करते हैं तथा हमारे मस्तिष्क में ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू करते हैं। तथा त्रिकोणासन, भुजंगासन व ताड़ासन हमारे इम्यून सिस्टम तथा पाचन तंत्र को मजबूत प्रदान करते हैं। अगर हम इन प्राणायाम तथा आसनों को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करते हैं तो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनती है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और एक संक्रामक रोगों के प्रति लड़ने की क्षमता विकसित होती है।
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हृदय प्रणाली में सुधार – Improve cardiovascular system
हृदय हमारे शरीर का केंद्रीय अंग है। हमारा शरीर दिल पर पूरी तरह से निर्भर है। सारे शरीर में रक्त का वितरण ह्रदय ही करता है। यह अशुद्ध रक्त को फेफड़ों, किडनी व लीवर में शुद्ध होने के लिए भेजता है तथा शुद्ध रक्त को पूरे शरीर में वितरित करता है। यह रक्त के साथ पोषक तत्व, जल, मिनरल्स व ऑक्सीजन की पूरे शरीर में आपूर्ति करता है। अनुचित जीवनशैली व गलत खानपान से हृदय में विकार अआने लगते हैं। ऑइली फूड के अधिक सेवन व परिश्रम में कमी से हृदय को रक्त आपूर्ति करने वाली धमनियों में व नसों में कोलेस्ट्रोल व वसा जमा हो जाती है, जिससे रक्त का मार्ग अवरुद्ध होने लगता है। परिणाम स्वरूप उच्च रक्तचाप, हार्टअटैक, सीएडी व अन्य गंभीर रोग होने लगते हैं। योग इन रोगों के निदान में बहुत ही सहयोगी है। नित्य प्रति योगाभ्यास करने से हृदय रोगों से दूर रहने में सहायता मिलती है। प्राणायाम व आसन करने से नसों में जमा वसा पिघलने लगती है और हृदय पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव कम होने लगता हैं जिससे पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। श्वास संबंधी प्राणायाम- अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति आदि का दैनिक रूप से अभ्यास करना चाहिए। इसके अलावा वीरभद्रासन, धनुरासन, भुजंगासन, ताड़ासन, वृक्षासन, उत्कटासन, उत्तानासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, सेतुबंध आसन और शवासन का दैनिक रूप से अभ्यास करने से तनाव कम होता है, हार्ट ब्लॉकेज की समस्या दूर होती है, रक्तचाप नियंत्रित होता है तथा श्वसन प्रणाली मजबूत होती है। इन आसन और प्राणायाम के रोजाना अभ्यास से हमारा हृदय मजबूत होता है जिससे हम स्वस्थ रहते हैं।
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मस्तिष्क की कार्य प्रणाली में सुधार – Improve brain function
योग हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। श्वास संबंधी प्राणायाम जैसे कपालभाती, भ्रामरी, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम आदि के नित्य प्रति अभ्यास करने से अनेक मानसिक बीमारियों में लाभ होता है। अल्जाइमर जैसी याददाश्त कम करने वाली बीमारी में प्राणायाम से बहुत लाभ होता है। इसके अलावा सेतुबंधासन, सर्वांगासन तथा हलासन भी तंत्रिका तंत्र को आराम पहुचाने में सहायक है। इन प्राणायामों तथा आसनों के रोजाना अभ्यास से मस्तिष्क में रक्त व ऑक्सीजन का प्रभाव सुचारू होता रहता है, जिससे हमारा मस्तिष्क स्वस्थ बनता है, स्मृति बढ़ती है तथा अच्छी नींद आती है।
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निष्कर्ष – Conclusion
प्रस्तुत लेख में हमने योग के 7 अद्भुत वैज्ञानिक लाभों की चर्चा की प्राचीन काल से ही भारत में योग, प्राणायाम व आसनों का अभ्यास होता आया है। लेकिन आजकल की व्यस्त लाइफ स्टाइल में लोगों के पास योगाभ्यास के लिए समय ही नहीं है। फलस्वरूप मानव शरीर रोगों का घर बन गया बना हुआ है। हमें अपने सुखी जीवन के लिए योग को अपनाना होगा। अपने दैनिक जीवन जीवनचर्या में नियमित योगाभ्यास करने से अवसाद, चिंता, अनिद्रा जैसी बीमारियां स्वतं ही हटने लगती हैं, शरीर में लचीलापन बढ़ता है, प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है तथा साथ ही साथ मस्तिष्क व हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार होता है। नित्य प्रति योगा अभ्यास से शरीर स्वस्थ और निरोगी बनता है लेकिन इन आसनों व प्राणायामों का अभ्यास किसी योग्य प्रशिक्षक के सानिध्य में ही करना उचित होगा।
FAQ
Q1 : योग कितने घंटे करना चाहिए?
Ans : हमें प्रतिदिन 30 से 40 मिनट योगाभ्यास करना चाहिए । योग की गम्भीरता के अनुसार समय बढ़ा सकते हैं।
Q2 : दिन का कौन सा समय योग के लिए सबसे अच्छा है?
Ans : प्रतिदिन सूर्योदय के समय ही योग करना बेहतर माना जाता है।